शीर्षक : देशभक्त
सारे जग को बिसार, देते तन मन वार
करे भारती के लाल, वो कहाँ आराम है
काटे दस दस शीश, मारे एक संग बीस
नही डरते वो चाहे, कुछ भी अंजाम है
भूलकर जाँत पाँत, बस कहे यह बात
अपनी माँ भारती ही, अल्हा और राम है
माँ भारती के शान को,होते है कुर्बान जो
ऐसे देशभक्तो मेरा, नमन प्रणाम है
शीर्षक : मजदूर
गरीबी में पला बड़ा, धूप छाँव रहा खड़ा
मजबूरी में पनपा, किस्मत का मारा है
मेहनत पर जीता रहा, हर गम पीता रहा
देख कभी लेता नही, किसी का सहारा है
दो समय के खाने को, लेता नही बहाने वो
अपने तन की पीड़ा, खुद ही नाकारा है
दर्द उसे भी होता है,मन ही मन रोता है
मजदूरी के अलावा, पर ही चारा है
_______________________________
शीर्षक : नारी
आप सब लो ये जान ,देव करे गुणगान,
है नर से निपुंड वो,नाम बस नारी है ।
रण कौशल कमाल,मारे बन कर काल,
जैसे हो रणचंडी वो,सब पर भारी है ।
रूप धर विकराल,किये असुर हलाल,
घोर संकट से देख,बहार निकारी है ।
भूला कैसे तू नादान,कर इसका सम्मान,
यही नारीे ही तो भव,के पार उतारी है ।।
______________________________
शीर्षक : नेक सलाह
झूठ बोल छल रहे,झूठ से ही चल रहे,
झूठ की इस झूठ को,दिल से निकालिए ।
झूठे रिश्ते झूठा जग,झूठन ही यहाँ सग,
झूठे इस प्रपंच में,न खुद को डालिए ।
भरी यहाँ मोह माया,संभल न मन पाया,
भ्रम से निकाल अब,मन को संभालिए ।
तारना है खुद को तो नेक राह चल फिर,
प्रेम गीत गा गा अब,मन सच पालिए ।।
________________________________
शीर्षक : प्रेम वियोग
साँची साँची कहु बात,म्हणे घणी आवे याद,
दूर म्हारी नजरो से ,जद भी तू जावे स,
मन म्हारो लागे नही,नैन नींद आवे नही,
हिवड़ो धड़क रह्यो,मन घबराबे स,
सोचता रहु में थाणे,कोण घडी तक जाणे,
ओलू अब देख म्हणे,फिर भिरमावे स
कर वही लागे ठीक,सुपने में मत दीख,
रात घणी मोहे क्यों तू,पागल बनावे स ।।
_________________________________
शीर्षक : माँ-बाप
घोर अपराध किया,माँ-बाप को छोड़ दिया,
तेरी खातिर जिसने,खाना नही खाया था ।
मांगी थी हज़ार दुआ,तब कहि पूरा हुआ,
सपना बेटा पाने का,पलको सजाया था ।
पाल पोष बड़ा किया,पैरो पर खड़ा किया,
आज तूने नाम देख,कैसा चमकाया है ।
वेद शास्त्र यही बोले,दर दर मत डोले,
माँ-बाप के रूप में ही,प्रभु को बताया है ।
________________________________
शीर्षक : हिंदी
हिंदी भाषा हिन्द की ये,जगत मे न्यारी लगे,
ऐसी न्यारी प्यारी भाषा,आप अपनाइये ।
मॉम डेड सिस वाली,गुलामी के बोल भरी,
बोल दूजी भाषा मत,मान को घटाइए ।
देवनागरी है लिपि,सरस सुहानी बोली,
लिख - लिख पातरियां,प्रेम गीत गाइये ।
हिंदी वाले हिन्द के है,हम सब हिंदुस्तानी,
हिंदी लिख,हिंदी बोल,सभी को बताइये ।
✍नवीन श्रोत्रिय"उत्कर्ष"©
श्रोत्रिय निवास बयाना
मो• +91 84 4008 4006
0 Comments
Post a comment
Please Comment If You Like This Post.
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।