चौपाइयां [chaupaiyan] छंद  


चौपाइयां छंद विधान 
चार     पंक्तियाँ  क्रमशः   समतुकांत
10 - 8 - 12 पर  यति कुल 30 मात्रायें

रची   सृष्टि  सारी, केवल   नारी,ये   जग  की आधारा
हो   रातें    काली, करे   दिवाली, यही   भोर  का  तारा
संकट  जब  आया, जग घबराया, रूप  बदल कर टारा
पावस  बन आती, फूल खिलाती, महके आंगन   सारा
✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
 श्रोत्रिय निवास बयाना
+91 84 4008-4006

दोहा
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देव  दैत्य   स्तुति   करें,कोउ  न  पायो पार
नमन  करूँ कमलापते,तुम जीवन के सार
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छंद : चौपाइयां
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हे केशव रसिया, सब मन बसिया,सुन लो अर्ज हमारी
विपदा  ने   घेरा, डाला   डेरा, तुम  बिन  जाय  न टारी
मन  मोहन  कान्हा,तुमको  माना,अपना   खेवनहारी
तुम  तुरतहि   आओ,दूर  भगाओ,हे ! बांके   गिरधारी

नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना


◆ ◆ ◆ ◆ ◆छंद : चौपाइया ◆ ◆ ◆ ◆ ◆
     
है उम्र ये बाली, छटा  निराली, कैसी जग की रीती
कर दिए विदाई, देख न  पाई, बेटी  जग की प्रीती
क्या  खेल रचाये, सब हर्षाये, है क्या इनकी नीती
सब ने  ठाना, कोउ  न जाना, क्या है उसपे  बीती
✍नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष"
Hindi Chhand Chaupaiyan

 चौपाइयां [chaupaiyan] छंद