उत्कर्ष दोहे
----------------
देख मुसीबत जप रहे,राम नाम अविराम ।
पहले ते जपते अगर,तो डर का क्या काम ।।
राम नाम ही प्रीत है,राम नाम वैराग ।
राम किरण है भोर की,रे मानस मन जाग ।।
नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
0 Comments
Post a comment
Please Comment If You Like This Post.
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।