छन्द : रोला
                      -----------------
लिये हरित परिधान,धरा पर  पावस आयी ।
                      शीतल चली  बयार,उष्णता   है   शरमायी ।
                      भरे  कूप अरु  कुंड,नीर सरिता  भर लायी ।
                      जन,जीवन,खुशहाल,ऋतु वर्षा मन भायी ।।
- नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
                         श्रोत्रिय निवास बयाना
                      Http://NKUtkarsh.Blogspot.com


                
0 Comments
Post a comment
Please Comment If You Like This Post.
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।