सरस्वती वंदना [saraswati vandna]
                          माँ सरस्वती सामूहिक वंदना
                        
                        
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                          नमस्तुभ्यं  माँ  आदिशक्ति,नमस्तुभ्यं वागेश्वरी,
                        
                        
                          नमस्तुभ्यं वैकुण्ठ वासिनी,नमस्तुभ्यं माहेश्वरी,
                        
                          जय   वाचा  जय ईश्वरी, जय महाश्वेता मात
                        
                        
                          नमन     तुम्हे  वागेश्वरी, देना   हरपल  साथ
                        
                        
                          मेरा नमन करो स्वीकार जय सरस्वती माता
                        
                        
                          मिटे दोष न बनूँ वाचाल,जय सरस्वती माता
                        
                          माँ जगदम्बे आदि भवानी,
                        
                        
                          लाज रखो हे ! माता रानी,
                        
                        
                          करते वंदन हम  सब तेरा,
                        
                        
                          ले दीपक अरु थाल,जय सरस्वती माता....
                        
                        
                          करें आरती तेरे लाल,जय सरस्वती माता....
                        
                          अज्ञानी हम बाल तुम्हारे,
                        
                        
                          आस लिये आये है  द्वारे,
                        
                        
                          आन सँभालो हे जगदम्बे,
                        
                        
                          कर दो कृपा तत्काल,जय सरस्वती माता....
                        
                        
                          फिर हो सब ही खुशहाल,जय सरस्वती माता...
                        
                          मात शारदे,  तुम्हे   मनाते,
                        
                        
                          महिमा गीत  तुम्हारे  गाते,
                        
                        
                          कंठ विराजो मात भवानी,
                        
                        
                          तुम बिन सुर नही ताल,जय सरस्वती माता...
                        
                        
                          हो जीवन  यह  निहाल,जय सरस्वती माता...
                        
                        
                          नाम अनेक  है  मात के,बैठी हंस सवार ।
                        
                        
                          गर इसकी किरपा मिले,हो जाये भवपर ।।
                        
                          ✍नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
                        
                        
                            श्रोत्रिय निवास बयाना
                        
                        
                          + 91 95 4989-9145
                        


 
                 उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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