मंदाक्रांता छंद
--------------------
[ विधान : मगण,भगण,नगण,तगण,तगण,गुरु,गुरु]
____________________________
मर्यादा मारग तज,चले लोग वो चाल देखो ।
माया के, मोहवश उनके जो रहे हाल देखो ।
हैं वो निर्भीक,सभय नही,ईश से घाल देखो ।
होना है अंत,समय बढ़ा जा रहा,काल देखो ।
नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
Kavi Naveen Shrotriya Utkarsh |
0 Comments
एक टिप्पणी भेजें
If You Like This Post Please Write Us Through Comment Section
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।