घनाक्षरियों के प्रकार एवं विधान
____________________________________________
1:- मनहरण घनाक्षरी : कुल 31 वर्ण। 8-8-8-7 या 16-15 पर यति। अंत में गुरु वर्ण।
____________________________________________
2:- रूप घनाक्षरी : कुल 32 वर्ण। 8-8-8-8 या 16-16 पर यति। अंत में गुरु लघु होता है।
____________________________________________
3 :- देव घनाक्षरी : कुल 33 वर्ण। 8-8-8-9 पर यति। चरणान्त में नगण।
____________________________________________
4:- जलहरण घनाक्षरी : कुल 32 वर्ण। 8-8-8-8 या 16-16 पर यति। चरणान्त में लघु लघु होता है।(कहीं कहीं लघु गुरु या लघु लघु लघु भी देखा जा सकता है)
_______________________________________
5:- जनहरण घनाक्षरी : कुल 31 वर्ण। पहले 30 वर्ण लघु और अंत में गुरु होता है।
____________________________________________
6:- डमरू घनाक्षरी : कुल 32 वर्ण। सभी वर्ण बिना मात्रा के लघु वर्ण होते हैं।
____________________________________________
7:- विजया घनाक्षरी: कुल 32 वर्ण। 8-8-8-8 पर यति।प्रत्येक यति अंत में लघु गुरु "या नगण" और पद सानुप्रास होता है।
____________________________________________
8:- कृपाण घनाक्षरी: कुल 32 वर्ण। 8-8-8-8 पर यति। अंत में गुरु लघु होता है।(प्रत्येक यति के अंत में गुरु लघु व पदानुप्रास होता है)
____________________________________________
9:- हरिहरण घनाक्षरी : कुल 32 वर्ण।8-8-8-8 पर यति। "प्रत्येक यति" के अंत में लघु लघु व "पदानुप्रास" होता है।
____________________________________________
10:- सूर घनाक्षरी : कुल 30 वर्ण। 8-8-8-6 अंत में गुरु या लघु कुछ भी हो सकता है।
_____________________________________________
Naveen Shrotriya Utkarsh |
0 Comments
Post a comment
Please Comment If You Like This Post.
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।