घनाक्षरियों के प्रकार एवं विधान 

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1:- मनहरण घनाक्षरी : कुल 31 वर्ण। 8-8-8-7 या 16-15 पर यति। अंत में गुरु वर्ण।
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2:- रूप घनाक्षरी :  कुल 32 वर्ण। 8-8-8-8 या 16-16 पर यति। अंत में गुरु लघु होता है।
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3 :- देव घनाक्षरी  : कुल 33 वर्ण। 8-8-8-9 पर यति। चरणान्त में नगण। 
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4:- जलहरण घनाक्षरी :  कुल 32 वर्ण। 8-8-8-8 या 16-16 पर यति। चरणान्त में लघु लघु होता है।(कहीं कहीं लघु गुरु या लघु लघु लघु भी देखा जा सकता है) 
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5:- जनहरण घनाक्षरी :  कुल 31 वर्ण। पहले 30 वर्ण लघु और अंत में गुरु होता है।
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6:- डमरू घनाक्षरी : कुल 32 वर्ण। सभी वर्ण बिना मात्रा के लघु वर्ण होते हैं।
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7:- विजया घनाक्षरी:  कुल 32 वर्ण। 8-8-8-8 पर यति।प्रत्येक यति अंत में लघु गुरु "या नगण" और पद सानुप्रास होता है।
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8:- कृपाण घनाक्षरी:   कुल 32 वर्ण। 8-8-8-8 पर यति। अंत में गुरु लघु होता है।(प्रत्येक यति के अंत में गुरु लघु व पदानुप्रास होता है) 
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9:- हरिहरण घनाक्षरी : कुल 32 वर्ण।8-8-8-8 पर यति। "प्रत्येक यति" के अंत में लघु लघु व "पदानुप्रास" होता है।
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10:- सूर घनाक्षरी :  कुल 30 वर्ण। 8-8-8-6 अंत में गुरु या लघु कुछ भी हो सकता है।
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Ghanakshri chhand ka vidhan
Naveen Shrotriya Utkarsh