उपेंद्रवज्रा छंद
UPENDRAVJRA CHHAND
[जतजगुगु]
छंद विधान :
क्रमशः जगण, तगण, जगण, दो गुरु
क्रमशः जगण, तगण, जगण, दो गुरु
न साधना, वंदन, मोहि आवै
तुम्हें रिझाऊँ, विधि को बतावै
सुवासिनी सिद्ध सुकाज कीजै
विवेक औ बुध्दि “नवीन” दीजै
- नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
उपेन्द्रवज्रा छंद |
4 Comments
Very good website, thank you.
जवाब देंहटाएंOdia Story Book Abupurusha O Anyanya Kahani
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thanks for give feedback
हटाएंअति उत्तम लेखन
जवाब देंहटाएंthanks a lot for comment
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