तोकूँ ढूँढू वर मैं सुयोग जो तेरे मन भाय विशाखा, जाकौ तेरौ योग चन्द्र सरीखौ, वीर बाँकुरौ, तन कौ रह्यौ निरोग रूठे तौ पढ़ प्रेम रिझावै, मेटै आत्म अनुयोग कृष्ण कन्हाई सों नैन समावै, सुखद विवाह संयोग क्यों कर… Read more
तोकूँ ढूँढू वर मैं सुयोग जो तेरे मन भाय विशाखा, जाकौ तेरौ योग चन्द्र सरीखौ, वीर बाँकुरौ, तन कौ रह्यौ निरोग रूठे तौ पढ़ प्रेम रिझावै, मेटै आत्म अनुयोग कृष्ण कन्हाई सों नैन समावै, सुखद विवाह संयोग क्यों कर… Read more
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उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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