बसन्त (नई कविता) छाई दिल में उमंग,मन हुआ है प्रसन्न सब झूम रहे है,आया झूम के ये बसंत चारो तरफ हरियाली है, रुत ये खुशियों वाली है सब के चेहरे खिले हुए है, छाई होटों पे खुशहाली है हुआ पूर्ण समय ज्वलंत, हुआ सब कष्टो का अंत सबके चित हुए … Read more
बसन्त (नई कविता) छाई दिल में उमंग,मन हुआ है प्रसन्न सब झूम रहे है,आया झूम के ये बसंत चारो तरफ हरियाली है, रुत ये खुशियों वाली है सब के चेहरे खिले हुए है, छाई होटों पे खुशहाली है हुआ पूर्ण समय ज्वलंत, हुआ सब कष्टो का अंत सबके चित हुए … Read more
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उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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