बहर : 122-122-122-122   ( मुत़कारिब मसम्मन सालिम) जिन्हें  हम  पलक  पे   बिठाने लगे हैं उन्हें   ठीक   दिल  मे  बसाने   लगे हैं कभी  सामने   से  अगर    हैं   गुजरते बना    घूँघटा,  वो     सताने     लगे हैं अभी  तक  हुआ क्यों न दीदार … और पढ़ें