मुक्तक ------------ अगर चाहो मिले मंजिल,करो श्रम साधना पूरी । परिश्रम से मिले सबकुछ,भले हो भाग्य में दूरी । नही होता कभी हासिल,भरोसे भाग्य जो रहते । वही कहते मिले कैसे,बना जब भाग्य मजबूरी ।। ✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” श्रोत्रिय निवास बयाना +91 84 4008-40… Read more
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