माँ ! जगदम्बा
माँ ! जगदम्बा
हे माँ ! जगदम्बा,
तेरी जय हो जय हो 
हे माँ ! जगदम्बा,
तेरी जय हो जय हो माँ
हम सब बालक अज्ञानी तेरे ,
तेरी महिमा जाने न,
क्षमा दान हो माता रानी ,
क्षमा हमें तुम कर दो ,
हे माँ ! जगदम्बा,
तेरी जय हो जय हो माँ
शर्मा कुछ और न मांगे ,
बस इतना तुम वर दो माँ 
निर्मल भाव हो, उत्तम विचार हो,
छल-कपट से कोई नाता न हो,
ज्ञान प्रकाश का दिव्य भरो माँ,
ज्ञान की ज्योति दो माँ,
हे माँ ! जगदम्बा,
तेरी जय हो जय हो माँ 
भूखा कोई वापस न जाये,
प्यासा कोई नीर को तरसे न 
कुछ ऐसा तुम वर दो माँ,
हे माँ ! जगदम्बा,
तेरी जय हो जय हो माँ,
माँ के दर पे जो भी आता,
वो खाली हाथ न जाता,
मैं अज्ञानी अबोध बाल हूँ,
माँ की क्या मैं महिमा गाऊ,
घट-घट माँ का चमत्कार है ,
महिमा कण कण गाता,
जो कोई भी माँ को ध्याये,
धन्य वो नर- नारी हो जाता,
फल इच्छा तू कर मत वन्दे,
निष्काम भाव से माँ की सेवा कर ले,
आगे की तेरी , मईया करेगी,
भूल से गर कोई भूल हो जाये,
विनती माता से कर लेना ,
माता सब तेरे कष्ट हरेंगी,
तुम अरज़ माँ से कर देना,
अब तो लाज तुम रखो महामायी, 
बिगड़े काम संवर दो माँ ,
हे माँ ! जगदम्बा,
तेरी जय हो जय हो माँ।।
विनती सुन, हे माँ जगदम्बा,
क्षमा भूल मम हो माँ,
हे माँ ! जगदम्बा,
तेरी जय हो जय हो माँ ।।