छन्द : कुण्डलिया
----------------------
अज्ञानी बिन आपके,ज्यो जल बिन हो मीन ।
कृपा करो माँ शारदे,विनती करे नवीन ।।
विनती करे नवीन,सूझ कब तुम बिन माता ।
दो मेधा का दान,मात मेधा की दाता ।
जग करता गुणगान,मात तुम आदि भवानी ।
मिले तुम्हारा साथ,चाहता यह अज्ञानी ।।
-------------------------------------------
भोर भयी दिनकर चढ़े,जागी फिर से आस ।
पंछी कर संघर्ष अब,लेकर नव विश्वास ।।
लेकर नव विश्वास,भूल फिर से मत करना ।
जीवन है तप,योग,ध्यान इसका तुम धरना ।
कहे अनुज उत्कर्ष,ये स्वर्णिम घड़ी नयी ।
अब तो पंछी चेत,देख फिर भोर भयी ।।
--------------------------------------
जीवन का उद्देश्य तुम,तुम्ही आदि तुम अंत ।
ये समझे जो भी प्रभो,हो जाता निश्चंत ।।
हो जाता निश्चंत,दास प्रभु का कहलाता ।
भव से होता पार,बाद वह तुमको पाता ।
कहे भक्त उत्कर्ष,मोह माया है उलझन ।
छोड़ धरो हरि ध्यान,सुधारो अपना जीवन ।।
------------------------------------
विपदा का मारा प्रभो,करना सदा सहाय ।
संकटमोचन आप ही,मंगल करण कहाय ।।
मंगल करण कहाय,वीर बजरंगी बाला ।
पवन देव के पुत्र मात अंजनी के लाला ।
कहे भक्त उत्कर्ष,विपत बड़ी मारो गदा ।
लगे कहीँ कब ध्यान,परी जबसे ये विपदा ।।
------------------------------------------
खट्टा तुम खाना नही,सन्तोषी के वार ।
मनोकामना पूर्ण कर,देती मैया तार ।।
देती मैया तार,धन्य जीवन हो जाये ।
मोह जाल से जीव,मुक्त होकर प्रभु पाये ।
कहे भक्त उत्कर्ष,लगाते क्यों फिर बट्टा ।
त्यागो खाना आप,भोज जिसमे हो खट्टा ।।
------------------------------------------
बजरंगी बाला सुनो,अर्ज हमारी आप ।
सदा साथ देना प्रभो,हरना मन संताप ।।
हरना मन संताप,गीत प्रभु के हम गायें ।
उर के मिटे विकार,पाप सारे मिट जायें ।
बने जहाँ के दीप,करें नित बाद उजाला ।
अर्ज करे उत्कर्ष,सुनो बजरंगी बाला ||
-------------------------------------------------
भूलो मत गुरुदेव को,गुरू गुणों की खान ।
दिवस आज गुरुदेव का,करो आप सब ध्यान ।।
करो आप सब ध्यान,सफल तब ही हो पावें ।
गुरू ज्ञान के दीप,बात यह वेद बतावें ।
भूल गुरू नादान,अधर में क्यों तुम झूलो ।
कहे शिष्य उत्कर्ष,गुरूजी को मत भूलो ।।
__________________________________
बजरंगी बलवीर का,है ये मंगलवार ।
राम नाम के साथ जप,होवे बेड़ा पार ।।
होवे बेड़ा पार,बात यह उर में धारो ।
संकट होवे दूर,आप हनुमान उचारो ।
कहे भक्त उत्कर्ष,नाथ दुखिया के संगी ।
शंकर के अवतार,वीर बाला बजरंगी ||
✍नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष"
श्रोत्रिय निवास बयाना
+91 84 4008-4006
0 Comments
एक टिप्पणी भेजें
If You Like This Post Please Write Us Through Comment Section
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।