नमन  करूँ  मैं  माँ  शारद को,
करना माते सदा सहाय
लिखूँ ख्वाब में हाथ कलम ले,
जो  मेरे  मन  को हर्षाय
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सरकारी   मैं   करूँ   नौकरी,
बन अफसर जो ऑफिस जाय
लटके है जो काम अभी तक,
सभी  काम  दूँ  फिर  निपटाय
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घर  वाले  सब  हर्षित होवे,
खानदान  दूँ  मैं चमकाय
मात पिता का नाम करूँ मैं,
संग  देश  गर्वित हो जाय
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करना पूरण  इच्छा दाता,
बालक  इतना  मांग   रहाय
यही एक सपना बस मेरा,
जो पलको पर जगह बनाय
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नवीन श्रोत्रिय"उत्कर्ष"©

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