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दो अक्टूबर उन्नीस की,
थी चौथी जब साल ।
शारद घर पैदा हुये,
वीर बहादुर ,लाल ।।
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शहर उत्तर प्रदेश में,
जनपद मुगल सराय ।
तात शारदा,मात वो,
रामदुलारी पाय ।।
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काशी विद्यापीठ से,
लिया शास्त्र का ज्ञान ।
आगे चलकर जो बनी,
शास्त्री की पहचान ।।
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जय जवान वो ही कहे,
जय हो कहे किसान ।
इस नारे से देश में,
जागा स्वाभिमान ।।
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जीवन में करते रहो,
शास्त्री जी सम यत्न ।
दीपक बन उजियार कर,
चमको बनकर रत्न ।।
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