छन्द : मंजुभाषिणी
[सगण+जगण+सगण+जगण+गुरु]
चल आ गये हम कहाँ,नही पता
अब राह केशव हमे,तुही बता
हम नेह के सुमन है,रहे खिले
उतरे भवांबुधि परे,कृपा मिले
__________
नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष"
श्रोत्रिय निवास बयाना,राज•
manjubhashini chhand |
0 Comments
Post a comment
Please Comment If You Like This Post.
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।