छन्द : मंजुभाषिणी [सगण+जगण+सगण+जगण+गुरु] चल आ गये हम कहाँ,नही पता अब राह केशव हमे,तुही बता हम नेह के सुमन है,रहे खिले उतरे भवांबुधि परे,कृपा मिले __________ नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष" श्रोत्रिय निवास बयाना,राज• manju… Read more
छन्द : मंजुभाषिणी [सगण+जगण+सगण+जगण+गुरु] चल आ गये हम कहाँ,नही पता अब राह केशव हमे,तुही बता हम नेह के सुमन है,रहे खिले उतरे भवांबुधि परे,कृपा मिले __________ नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष" श्रोत्रिय निवास बयाना,राज• manju… Read more
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उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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