उत्कर्ष मुक्तक : UTKARSH MUKTAK
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ज्ञान बिना मतिमूढ़ मैं,जैसे   जल बिन  मीन
कृपा करो   माँ  शारदे, कहता   निर्बल    दीन
सार  जगत  का  आप ही, आप  बनी  आधार
सदा  साथ  दो  अम्बिका, विनती करे नवीन
नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
श्रोत्रिय निवास बयाना
Utkarsh Muktawali
Muktak