महाशिव रात्रि
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महादेव  को  था मिला,माँ  गौरा  का साथ ।
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी,बनी महाशिव रात ।।
रात    मंगल    फलदायी ।
साथ भर खुशियाँ लायी ।।

मद
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मदिरा कंचन कामिनी,और धरा का प्यार ।
आज जरूरत यह बने,चाहे  अंत  बिगार ।।
बात  वो  ही  ना माने ।
सार इनका नहि जाने ।।
प्रेम
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तुझसे    मेरी   प्रीत  है,तू     मेरा   अनुराग  ।
तुझ बिन मै पूरण नही,रंग बिना ज्यो फाग ।।
बाद   जी   कैसे  पायें ।
मार्ग यह आप सुझायें ।।


 राजस्थान
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पीले  पीले फूल है,अधरों पर मुस्कान ।
मन हरखे जा भूमि में,वो है राजस्थान ।।
यहां की बात निराली ।
मनाते नित्य  दिवाली ।

 मित्र
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ज्ञान मित्र घर से परे,नारि मित्र घर द्वार ।
दवा मित्र है रोग  में,धर्म मित्र भव  पार ।।
मित्र की यह परिभाषा ।
जगा देता  वह  आशा ।।

गुण
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वसुधा पर निपजे सभी,कंचन   पाहन रेत ।
मूल्य  यहाँ  गुणभूत ही,चुनो मीत कर चेत ।।
कौन सी  माला फेरी ।
रही क्या चाहत तेरी ।।


 
नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
श्रोत्रिय निवास बयाना

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