!! सा• रीता जयहिंद की कलम से !! 

Samiksha
रीता जयहिंद 
आo नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष 
मेरा अहोभाग्य है कि मुझे साहित्य जगत की इतनी महान  विभूति हस्ती के लेखन पर समीक्षा का अवसर प्राप्त हुआ है । मैं नूतन साहित्य कुंज की सभी महानुभावो की शुक्रगुजार हूँ कि हमें प्रत्येक विषय का ज्ञानार्जन का अवसर प्राप्त  होता है । इनकी सभी रचनाएँ काव्यात्मक स्तर की हों या गद्य पर आधारित हो मानव के मानसपटल पर एक अनूठी छाप छोड़ जाती है । पहली रचना कर्मवीर मानव को कर्मशील बनाने की प्रेरणा देती है । कर्म  ही प्रधान है कर्म करते रहो फल अपने आप मिलेगा ।मानव कर्म कराता रहे खुद ही अपने भाग्य का विधाता बन सकता है।सुंदर दोहे और छंदो का आकर्षक समन्वय है दूसरी रचना आपकी राजस्थानी ढोला और उसकी प्रियतमा के प्यार का अनूठा संगम छंद दोहे  का एक अद्भुत  दिल को आकर्षित करती सुंदर रचना है आपकी अन्य सभी रचनाएँ भी बहुत शिक्षाप्रद व मधुर संदेश  देती हैं आपके विषय में जितना भी लिखा या कहा जाए कम होगा । सधन्यवाद  जी ।

समीक्षका : रीता जयहिंद