हाय रे ! देखो किस्मत है खोटी,
पराये घर,विदा हो जाती है बेटी,
किसी ने नाम दिया तो ,
किसी का नाम है पाती,
किसी ने पाला है इसको,
किसी का आँगन है सजाती,
घर की सब खुशियाँ है जब रूठी,
पराये घर,विदा हो जाती है बेटी,
बेटी कुछ अरमान संजोती,
मेरा खुशकिस्मत हो जोगी,
मुझसे वो लाड लड़ाए,
बिन मेरे,पिया को चैन न आये,
बंधे जब बंधन में हम,
वचन फेरो के ,सातों निभाए,
मिले न जब ऐसा उसको,
वो किस्मत की मारी, है पल-पल रोती,
कभी माँ-बाप को कोसे,
कभी किस्मत को दोसे,
कभी ईश्वर को पुकारे,
क्यों तूने किस्मत है फोड़ी,
"नवीन" ये विधि न जाए मोडी,
है ये अमिट , संजोग की डोरी,
हाय रे!कितनी किस्मत है खोटी,
पराये घर,विदा हो जाती है बेटी,
नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना
Vidai Geet : Utkarsh Kavitawali |
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