उत्कर्ष सृजन समीक्षा : शुभा शुक्ला मिश्रा “अधर”
नवीन जी !
सर्वप्रथम तो मैं आपकाे बता दूँ कि मैं स्वयं को एक समीक्षक नहीं मानती, समीक्षक का कार्य है किसी भी रचना को प्रत्येक दृष्टिकोण से जाँचना ,परखना, काव्य के गुण दोषों की कसौटी पर कसना ,तब उचित टिप्पणी देना
जो समीक्षा की पदवी से सुशोभित होती है । ग्रुप में किसी रचनाकार को उनकी रचनाओं की त्रुटियों से अवगत कराना अपना कर्तव्य समझती हूँ ,तो स्पष्ट रूप से स्वविवेकानुसार उचित टिप्पणी व्यक्त करती हूँ ,किन्तु किसी के ब्लॉग पर कभी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की ,उपस्थित अवश्य होती हूँ यथाअवसर कुछ रचनाकारों के ब्लॉग पर । मुझे समीक्षा के लिए अपने ब्लॉग पर निमंत्रित करने वालों में आपका पाँचवा स्थान है ।
नवीन जी ! आपकी कुछ रचनाएँ मैंने बहुत धैर्य से पढ़ी हैं । आपने, अपनी रचनाओं में हृदयस्थ भाव बहुत सुंदरता के साथ उत्कृष्ट रूप में सुस्पष्ट सरलता से शब्दबद्ध किए हैं। आपकी प्रत्येक रचना एक अलग ही भावलोक ,कल्पनालोक के साथ ही जमीनी हकीकत से साक्षात्कार कराती है । नवीन जी, अभी तक आपकी जितनी रचनाएँ मेरी दृष्टि के समक्ष आई हैं ,वह सभी रचनाकार की प्रबुद्धता,प्रखरता ,चिन्तन ,मनन से युक्त हैं ,यही प्रदर्शित करती हैं ,कि कवि /लेखक निज से परपीड़ा को भोगता हुआ लोकमंगल की कामना कर बैठता है।
संसार के प्रत्येक सुख -दुख से एकाकार होकर हँसता है , रोता है और एक ऐसे समाज राष्ट्र की कल्पना करने लगता है जहाँ सुख ही सुख हो ,दुख,द्वेष,दंभ ,छ्ल,बल ,अहं दूर दूर तक न हो । सभी सुखी हों ,यही भावना प्रधान होती है यथार्थ भावाभिव्यक्ति एवं ,छ्न्द विषयक प्रत्येक दृष्टि से निःसन्देह आपकी रचनाएँ उत्तम श्रेणी में आती हैं। सच्चा रचनाकार वही है जो चाहें कम लिखे पर अच्छा ,सारगर्भित ,सार्थक ,जगतहित में लिखे ।
शुभकामनाओं सहित,हार्दिक बधाई !
जय माँ शारदे ।।
समीक्षका : शुभा शुक्ला मिश्रा “अधर”
पता : शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर' W/O श्री विनीत मिश्रा
म० नं० 547, नियर आगा साहब की कोठी, मोo,महाराजनगर,
लखीमपुर खीरी (उप्र) पिन - 262701
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