रक्ता छंद [Rakta Chhand ]
विधान :-
रगण जगण गुरु【212 121 2 】कुल
7 वर्ण, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत]
(1)
मात ज्ञान दीजिये
दूर दोष कीजिये
मंद हूँ विचार दो
लेखनी सँवार दो
(2)
मात हंसवाहिनी
आप ज्ञान दायिनी
अंध को तार दो
कष्ट ये निवार दो
रक्ता छंद [Rakta Chhand ] |
0 Comments
एक टिप्पणी भेजें
If You Like This Post Please Write Us Through Comment Section
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।