आन बान शान रख, और पहचान इक
भारती का वीर रख, अडिग जुबान को
काट डाल रार वाली, खरपतवार जड़
चूर कर डाल गिरि, जैसे अभिमान को
दीमक लगी हो जित, उत भी नजर डाल
देश से बाहर कर, देश द्रोही श्वान को
देश की अखंडता के, लिये ये जरूरी यज्ञ
अर्पित नवीन कर, तन, मन , प्रान को
Naveen shrotriya |
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