छंद - बिहारी छंद [ Bihari Chhand ]
विधान - इसके प्रत्येक चरण में 14+8=22 मात्राएँ होती हैं , 14,8 मात्रा पर यति होती है तथा 5,6,11,12,17,18 वीं मात्रा लघु 1 होती है ।
एकाक्ष, महाकांत, महादेव, भगाली
हे ! नाथ महाकाल गुणोकीर्ति निराली
मैं मूर्ख नहीं बुध्दि, दया आप दिखाओ
है द्वार खड़ा दीन, प्रभो कष्ट मिटाओ
आसक्ति शरीरी, न हमें, राह सुझाती
है लक्ष्य परे जीव निरुद्देश्य बनाती
बैचैन रहूँ भक्ति बिना भाव जगाओ
अज्ञान हरो नाथ, कृपादृष्टि बनाओ
एकाक्ष महाकांत महादेव भगाली
हे नाथ महाकाल गुणोंकीर्ति निराली
है कौन सगा और यहाँ कौन पराया
संदेह यही एक हमें नित्य सताया
आरंभ तुम्ही अंत तुम्ही काल कपाली
संसार परे आप करो नाथ कृपाली
एकाक्ष महाकांत महादेव भगाली
हे नाथ महाकाल गुनीकीर्ति निराली
- नवीन श्रोत्रिय ‛उत्कर्ष’
Bihari Chhand : Utkarsh kavitawali |
2 Comments
Very nice
जवाब देंहटाएंRESP. VERY VERY THANK YOU FOR COMMENT.
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