कृष्ण भजन Krishna Bhajan
उनसों का प्रीत रखें, जिन प्रीत काम की
करनी तो उनते,करें, मुक्ति भव धाम की
घर ते चले जो आज, मिलवै भगवान ते
उनकूं न ढूँढे मिले, साँची ईमान ते
कान्हा कूँ सब जग खोजत है, कान्हा कहूँ न पावैगौ
कान्हा ते तो मिलन तभै जब, जग में प्रेम लुटावैगौ
भक्ति भाव बिन धार लई है, कर मे तुलसी माला
कंठी पहरी और गेरुआ, ओढा लाल दुशाला
जगत दिखाई कूँ बने संत मुनि, केवल स्वादु कहावैगौ
कान्हा ते तौ मिलन तभै जब, जग में प्रेम लुटावैगौ
कान्हा कूँ सब जग खोजत है...
भजन करै बिन श्रद्धा के ही, मन मे कटुता द्वेष पलै
लाख रखौ उपवास भले ही, भव सागर ते नाय तरै
दरश करावै गिरधर बाकूँ, सूर समान रिझावैगौ
कान्हा ते तौ मिलन तभै जब, जग में प्रेम लुटावैगौ
कान्हा कूँ सब जग खोजत है...
माया के मोहन में मोहित, मनमोहन भूल गया
भरी जवानी धन कूँ सौंपी, भव बंधन में झूल गया
पार उतारै नागरिया, जो, मीरा जैसौ चाह्वेगौ
कान्हा ते तौ मिलन तभै जब, जग में प्रेम लुटावैगौ
कान्हा कूँ सब जग खोजत है..
Kanha Koon Sab Jag Khojat hai. |
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