राधिका - कृष्ण को, प्यारी है प्यारी है प्यारी है
राधिका - कृष्ण को, प्यारी है प्यारी है प्यारी है
जानती ये, दुनिया सारी है, सारी है, सारी है
जिन राहों पे चलते रहे अब तलक
उन राहों की हम तो लकीर हो लिये
लूट न पाया यूँ तो कोई भी हमें
जिसने लूटा हमें, वो फ़क़ीर हो लिये
क्या करना है रश्मों रिवाजों का जब
बात हो प्रेम की,दुनिया हारी है, हारी है, हारी है
जानती ये दुनिया सारी है, सारी है,सारी है
राधिका - कृष्ण को,प्यारी है प्यारी है प्यारी है
जानती ये, दुनिया सारी है, सारी है, सारी है
प्रेम न केवल भौतिक विषय किंतु ये,
सारी सीमाओं से है परे जान लो
केवल सुख ही नहीं दुःख भी है यही
बाँधे बंधता नहीं, इसे पहचान लो
बिन इसके भी जीवन, जीवन नहीं
साँस भी देह पर, भारी है, भारी है, भारी है
जानती ये, दुनिया सारी है, सारी है, सारी है
राधिका-कृष्ण को, प्यारी है प्यारी है प्यारी है
जानती ये, दुनिया सारी है, सारी है, सारी है
आरजू हूँ, कहीं, नैन तारा बना
आसरा हूँ, किसी का सहारा बना
कोई लिखता मुझे खत में गीत में
स्वार्थ से रहित,रीत में,विपरीत में
राह जिसको भी चलना है, संग संग चलो
राह मेरी जमाने से, न्यारी है,न्यारी है, न्यारी है
जानती ये, दुनिया सारी है, सारी है, सारी है
राधिका - कृष्ण को, प्यारी है प्यारी है प्यारी है
जानती ये, दुनिया सारी है, सारी है, सारी है
Radhika Krishna Ko Pyari Hai |
आशा करता हूँ आपको यह गीत पसंद आया होगा, उत्कर्ष गीतावली के अन्य गीत, भजन पढ़ने के लिए नीचे छुएं
2 Comments
Beautiful poetry ❤️❤️👌👌
जवाब देंहटाएंसादर धन्यवाद जी
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