इन्द्रवज्रा छंद विधान और उदहारण
छंद विधान :-
यह छंद उपेंद्रवज्रा छंद से मिलता जुलता ही छंद है अथवा इन दोनों ही छंदो में नाम मात्र का भेद है। इस छंद में क्रमशः तगण + तगण + जगण + गुरु + गुरु [२२१+२२१+१२१+२२ = १८ ] कुल चार चरण , १८ मात्राएँ प्रति पंक्ति , दो-दो पंक्ति समतुकांत होता है।
उदाहरण :-
[1]
यूँही नहीं आप हमें सताओ
कान्हा कभी दर्शन तो कराओ
भूले हमें, क्यों जबसे गये हो
बोलो यहाँ और किसे ठगे हो
[2]
झूठा भरोसा हमको दिलाया
भूले हमें औ ब्रज को भुलाया
लीला तुम्हारी तुम सी छलिया
जानैं कहाँ है हम गूजरिया
| ![इन्द्रवज्रा छंद लिखने के नियम और इसके उदहारण इन्द्रवज्रा छंद [ INDRAVAJRA-CHHAND ]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi1te9ovkxPF8p28SX0Psf9OXXEZ-ADqaJ0NMjmv2hDp4ICQks3X9jRn7KBchvLuCI978-ydMdD9pO8e5P_pDoISZmN9eXD8x01vKFfVyqESnuspfXj7PL6t-eQynwSxKJwwrQpxk5-x4mo/w320-h320/Logopit_1614778433101.jpg)  | 
| इन्द्रवज्रा छंद [ INDRAVAJRA-CHHAND ] | 



 
                 उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
1 Comments
Nice lines
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