बहर : 122-122-122-122 ( मुत़कारिब मसम्मन सालिम) जिन्हें हम पलक पे बिठाने लगे हैं उन्हें ठीक दिल मे बसाने लगे हैं कभी सामने से अगर हैं गुजरते बना घूँघटा, वो सताने लगे हैं अभी तक हुआ क्यों न दीदार … Read more
बहर : 122-122-122-122 ( मुत़कारिब मसम्मन सालिम) जिन्हें हम पलक पे बिठाने लगे हैं उन्हें ठीक दिल मे बसाने लगे हैं कभी सामने से अगर हैं गुजरते बना घूँघटा, वो सताने लगे हैं अभी तक हुआ क्यों न दीदार … Read more
गजल : हाल जैसे रहें,मुस्कराते रहो Gazal : Haal Jaise Rahe Muskrate Raho 212-212-212-212[फाइलुन×4] ---------------------------------------- हाल जैसे रहें, मुस्कराते रहो अश्क हैं कीमती, मत गिराते रहो --------------------------------… Read more
नारी: गजल [ Naari : Gazal ] बह्र : 212-212-212-212 भूख उसको भले पहले'खाती नहीं दुःख हों लाख ही पर जताती नहीं Bhookh Usko Bhale Pehle Khaati nahi Dukh Hon Lakh Hi Per Jatati nahi नित्य जल्दी जगे काम सारा करे बाद भी … Read more
गजल : प्रेम पढ़ता रहा नित्य ही [Gazal : Prem Padta Raha Nitya Hi] बह्र : 212 212 212 212 प्रेम पढ़ता रहा नित्य ही मीत मैं सीख पाया नहीं बाद भी प्रीत मैं हार से हार कर हारता ही गया पर न जाना कभी हार क्या जीत मैं … Read more
चल पड़े है कौन से पथ Chal Pade Hain Kaunse Path मापनी/बहर : 2122 2122 2122 212 चल पड़े है कौन से पथ, भूल हम जीवन चले जानते इसको सभी पर, संग में बेमन चले स्वप्न बुनते नित नये हम हो सुखद संसार इक पर निगाहों में बसा के ढ… Read more
गजल : एक नसीहत ★ ★ ★ ★ ★ Behar : 212-212-212-212 लय : अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों प्रेम करते रहो पर जताना नही नफरतो को गले से लगाना नही छोड़ ये रास्ता कारवां बीच में लक्ष्य प… Read more
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उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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