गजल : मेरी ख्वाहिश
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Behar : 212-212-212-212
देश की शान मैं यूं बढाता रहूँ
शीश झुकने न दूं मैं कटाता रहूँ
काट दूँ हाथ वो,जो उठे देश पर
दुश्मनो को युँ हीं मैं मिटाता रहूँ
में लड़ाई लड़ूं आखिरी सांस तक
दुश्मनो को ठिकाने लगाता रहूँ
है तमन्ना यही साँस टूटे यहीं
मात की गोद में प्यार पाता रहूँ
मौत भी गर मिले,फर्ज की राह में
चूम लूँ मौत को,पर निभाता रहूँ
आरजू है मे’री जाऊँ’तम पार तक
दीप बनके उजाला बिछाता रहूँ
प्रीत रख देश से मातु - बापू कहें
हर जनम में तुझे पूत पाता रहूँ
सो रहे जो अभी जाग जाओ सभी,
भोर बनके सभी को जगाता रहूँ
देश का हर सिपाही कहे बस यही
में सुमन की तरह,जां लुटाता रहूँ
नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”©
DESH KI SHAN |
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