कुण्डलिया Kundaliyan
बीती बातें भूल मत, बीती देती सीख
बीती से नव सर्जना, बीती नवयुग लीक
बीती नवयुग लीक, बढ़े चल जुड़कर आगे
बीती पर कर शोध,छोड़ मत इसको भागे
कहे मित्र उत्कर्ष, यहाँ यादें है जीती
क्यों भूलो फिर आप,स्वयं पर जो है बीती
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बीन बजाई भैंस को,यही सोच श्रीमान
मॉर्डन युग अब आ गया,इसको भी अनुमान
इसको भी अनुमान,मान इसका बड भारी
दूध - दही जो चाह,करो सेवा नर - नारी
कहे अनुज उत्कर्ष,मोह जग लूटा भाई
आमदनी अब भैस,तभी यह बीन बजाई
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तलवा जूते का हुआ,अलग आज श्रीमान
खोल रहा बस पैर में,त्यागे उसने प्रान
त्यागे उसने प्राण,बात इज्जत पर आई
लें हम किसकी मदद,वहाँ कब मोची भाई
कहे दीन उत्कर्ष,देख जूते का जलवा
बाँटा अगणित ज्ञान,काम कब आता तलवा
: नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
श्रोत्रिय निवास बयाना
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UTKARSH KUNDALIYAN |
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