कुंडलियाँ Kundaliyan Chhand
【सोमवार】
                          देवो     के    वह   देव  है, भोले     शंकर     नाम
                        
                        
                          ध्यान धरो नित नेम से, अंत  मिले   हरि   धाम
                        
                        
                          अंत   मिले    हरिधाम, पार   भव   के   हो  जाये
                        
                        
                          मनचाहा   सब    होय, साथ  सुख   समृद्धि  पाये
                        
                        
                          कहे    भक्त    उत्कर्ष, नाव   भव   से  प्रभु  खेवो
                        
                        
                          मैं      मूर्ख      नादान, मार्ग   दो    मुझको  देवो
                        
【मंगलवार】
                          बजरंगी    महावीर     का, है    ये  मंगलवार
                        
                        
                          राम    नाम   के  साथ  जप, होवे     बेड़ापार
                        
                        
                          होवे     बेड़ा      पार, बात  यह  उर  में  धारो
                        
                        
                          संकट      होवे     दूर, आप  हनुमान उचारो
                        
                        
                          कहे  भक्त   उत्कर्ष,नाथ   दुखिया  के संगी
                        
                        
                          शंकर  के   अवतार,वीर     बाला     बजरंगी
                        
【बुधवार】
                          मंगलफल दाता प्रभो,गणनायक, गणराज
                        
                        
                          सुमिरन  करते  आपका,तुरत सँवारो काज
                        
                        
                        
                          तुरत  सँवारो  काज,साथ मति   मोहे  दीजै
                        
                        
                          रहे  न  बाद  विकार,देव  तुम   इतना कीजै
                        
                        
                          कहे   दास   उत्कर्ष,शरण  जो   कोई आता
                        
                        
                          मनेच्छा    करे   पूर्ण,देव  मंगल फल दाता
                        
【गुरूवार】
                          भूलो  मत  गुरुदेव   को,गुरू  गुणों  की खान
                        
                        
                          दिवस आज गुरुदेव का,करो आप सब ध्यान
                        
                        
                        
                          करो  आप  सब ध्यान,सफल तब ही हो पावें
                        
                        
                          गुरू   ज्ञान     के   दीप,बात  यह  वेद बतावें
                        
                        
                          भूल    गुरू   नादान,अधर में क्यों तुम झूलो
                        
                        
                          कहे    शिष्य    उत्कर्ष,गुरूजी को मत भूलो
                        
【शुक्रवार】
                          संतोषी    का  वार   है,शुक्र    आज   का  वार
                        
                        
                          हर  इच्छा  पूरण  करे,देती     ख़ुशी     अपार
                        
                        
                        
                          देती   ख़ुशी   अपार,ध्यान  माँ का जो धरता
                        
                        
                          त्यागे मलिन विचार,शरण माँ की जो पड़ता
                        
                        
                          मिले    कर्म   को   दंड,बचे   कब  कोई  दोषी
                        
                        
                          कहे   दास   उत्कर्ष,बोल    जय  माँ  संतोषी
                        
【शनिवार】
                          पूजा कर शनि वार को,कर लो शनि का ध्यान
                        
                        
                          कर्मो    का   फल  देत  ये,कर्मो   के   भगवान
                        
                        
                          कर्मो     के    भगवान,पार   नैया   ये    करते
                        
                        
                          मिटे सकल निज पाप,शरण  इनकी जो पड़ते
                        
                        
                          कहे   भक्त  उत्कर्ष,मार्ग  नही   कोई     दूजा
                        
                        
                          गया   वही   भव   पार,देव  को   जिसने पूजा
                          
रविवार
                          
रविवार
                            रविवार  को  सूर्य    का , करें आप सब जाप 
                          
                          
                            तन मन दोनों  स्वस्थ हो, मिटे साथ ही पाप 
                          
                          
                            मिटे साथ ही   पाप, बुध्दि वैभव मिल जाता 
                          
                          
                            ओज  पराक्रम  बढ़े, दिव्यता  प्रभु  से  पाता 
                          
                          
                            कहे  भक्त  उत्कर्ष, प्रार्थना     रही   आधार 
                          
                          
                            सब   वारों  में  बड़ा, मान  ये दिवस रविवार 
                          
                        
                          ✍नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष"
                        
                        |   | 
| Monday Kundaliyan | 
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| Tuesday-Kundaliyan | 
|   | 
| Friday Kundaliyan | 
|  | 
| Friday Kundaliyan | 
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| Saturday Kundaliyan | 




 
           उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
4 Comments
Wahh
ReplyDeleteVERY VERY THANK YOU RESPECTED.
DeleteShaandaar
ReplyDeleteVERY VERY THANK YOU RESPECTED
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