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छंद अलंकार का मर्म न जाने

कैसे तुझको   कवि में कह दूँ कैसे   दूँ    सम्मान      रे छंद अलंकार का मर्म न जाने न जाने विधि   विधान रे कैसे  तुझको  कवि में कह दूँ कैसे      दूँ    सम्मान   रे काव्य के तू गुण दोष न जाने न काव्यशास्त्र का ज्ञान रे शब्दों की   तू  महत्ता न जाने … और पढ़ें

होली गीत [Holi Rasiya Song]

होली : Holi Song Rasiya होरी में उड़े गुलाल गुलाबी सबरे नर नारी । रंगनी  है राधा गोरी अरु रंग डारे बनबारी ।। होरी में...........................................२ ग्वाल बाल सब झूम रहे है, घोंट भांग  फिर चूम रहे है, रंग बरसे सबरे आज घटायें छाई मतबारी । … और पढ़ें

मत्तग्यन्द सवैया छंद (mattgyandy savaiya)

मत्तग्यन्द सवैया छंद (Mattgyandy Savaiya)  (1)  देख गरीब मजाक करो नहि,हाल बनो किस कारण जानो मानुष  दौलत  पास   कितेकहु,दौलत  देख  नही  इतरानो ये तन  मानुष को मिलयो,बस एक यही अब धर्म निभानो नेह सुधा  बरसा  धरती पर,सीख  सिखा  सबको  हरषानो … और पढ़ें

सीमायें

सीमायें : Border  छंद : तांटक, रस-वीर,गुण-ओज -------------------------------------- खादी  पहने घूम रहे कुछ, जो चोरो   के   भाई   हैं ऐसे लोगो के  कारण  ही,दुख  की  बदली छाई  हैं चेत करो अब सोये शेरो,इन्हें सबक सिखलाना है नमक हरामी करने वालो,को मतलब बतला… और पढ़ें

छंद : आल्हा/वीर (Aalha/Veer)

सुमिरू तुमको हंसवाहिनी,मनमोहन,गुरुवर, गिरिराज । पंचदेव,  गृहदेव,  इष्ट  जी,मंगल  करना   सारे  काज ।। बाल नवीन करे विनती यह,रखना   देवो   मेरी   लाज । उर भीतर के भाव लिखूँ मैं,आल्हा छंद  संग ले आज ।। देश,वेश,परिवेश बदल दो,सोच बिना कछु नही सुहाय । मधुर बोल मन … और पढ़ें

एक सुंदरी : श्रृंगार रस

छंद : मत्तग्यन्द सवैया ------------------------------- जोगिन एक मिली जिसने चित, चैन चुराय  लिया चुप  मेरा । नैन  बसी  वह   नित्य  सतावत, सोमत  जागत डारिहु  घेरा । धाम कहाँ उसका  नहिं  जानत, ग्राम, पुरा, बृज माहिंउ हेरा । कौन  उपाय करूँ  जिससे वह, मित्र  करे  … और पढ़ें

संयोग श्रृंगार : मत्तग्यन्द सवैया

छंद : मत्तग्यन्द सवैया ------------------------------- नैनन   ते   मद  बाण  चला,              मन भेद गयी  इक नारि निगोरी । राज किया जिसने  दिल पे,              वह  सूरत  से  लगती बहु भोरी । चैन गयो फिर  खोय  कहीँ,              सुधि बाद रही हमकूँ कब थोरी । प्रे… और पढ़ें

मरुभूमि और महाराणा [ Marubhoomi Or Maharana ]

★★मरुभूमि और महाराणा★★ पंद्रह    सौ   चालीसवाँ, कुम्भल राजस्थान जन्म हुआ परताप का, जो  माटी  की शान माता जीवत कँवर औ, तात उदय था नाम पाकर  ऐसे   वीर  को, धन्य हुआ यह धाम पन्दरा सौ अड़सठ  से, सत्तानवे  के  बीच अपने ओज प्रताप  से, मेवाड़   दिया  स… और पढ़ें

जय शिव शम्भू

महाशिव रात्रि आई,सब शिवालय सजे है, कालो के  काल,महाकाल कैलाश चढे है, घूँट लो भंगिया,बाबा नांदिया,कहने लगे है इस पावन पर्व के रस में सब बहने लगे है, महाशिवरात्रि के पर्व की अग्रिम शुभकामनाये            नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” और पढ़ें

गीत : इंतज़ार

:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: भीग रही है पलके मेरी सजन तेरी याद में, बैठी हूँ तन्हा अकेली तेरे इंतज़ार में, तू दूर गया तो तेरे में पास आ गयी- 2 क्या हाल है हमारा देख तेरे प्यार में, क्या हाल है हमरा सजन तेरे प्यार में •••••••••••••••••••••••… और पढ़ें

होली : कविता

🔸🔹होली🔹🔸 बज रहे चंग, भर मन में उमंग, नर नारी संग संग, देखो फाग आज खेल रहे, कान्हा डार रहो रंग, ले के ग्वाल बाल संग, वो तो करे हुड़दंग, देखो एक दूजे पे उड़ेल रहे, डारो राधाहु पे रंग, रंग दीनो अंग अंग, देख बृजवासी भये दंग, ऐसे जुगल को सदा हु मेल रहे । बरसे… और पढ़ें

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