छप्पय छन्द विधान यह मिश्रित छन्द है। यह छह पंक्ति का छन्द है। यह दो रोला + एक उल्लाला छन्द का मिश्रण है। रोला छन्द ११/१३ की यति पर लिखा जाता है। उल्लाला छन्द १३/१३ की यति पर लिखा जाता है। छन्द अनुसार दो-दो पंक्तियों का समतुकान्त। … Read more
छप्पय छन्द विधान यह मिश्रित छन्द है। यह छह पंक्ति का छन्द है। यह दो रोला + एक उल्लाला छन्द का मिश्रण है। रोला छन्द ११/१३ की यति पर लिखा जाता है। उल्लाला छन्द १३/१३ की यति पर लिखा जाता है। छन्द अनुसार दो-दो पंक्तियों का समतुकान्त। … Read more
दोहा• बृज देखो बृज बास को, अरु बृजवासिन रंग बृजरज की पावन छटा, देख जगत सब दंग कवित्त : 8,8,8,7 वर्णों की चार समतुकांत पँक्तियाँ बृज धाम कूँ निहार, जित प्रेम मनुहार बाँटों अपनौउ प्यार, चलो यार बृज में आये नाथन के नाथ, रखौ … Read more
महाशृंगार छन्द का विधान १- यह चार पक्तियों का छन्द है, प्रत्येक पक्ति में कुल 16 मात्रायें हो ती हैं हर पक्ति का अन्त गुरु लघु से करना अनिवार्य , दूसरी ओर चौथी पक्ति में तुकान्त मिलान उत्तम पहली और तीसरी तथा दूसरी और चौथी पंक्ति तुक… Read more
रक्ता छंद [Rakta Chhand ] विधान :- रगण जगण गुरु【212 121 2 】 कुल 7 वर्ण, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत ] (1) मात ज्ञान दीजिये दूर दोष कीजिये मंद हूँ विचार दो लेखनी सँवार दो (2) मात हंसवाहिनी आप ज्ञान दायिनी … Read more
उड़ियाना छंद Udiyana Or Kundal Chhand उड़ियाना छंद विधान : 12/10 यति पहले व बाद में त्रिकल अंत मे एक गुरु जीवन का ध्येय एक, राम नाम जपना मिले हमें विष्णुलोक,यही सत्य सपना कौन यहाँ मित्र,सगा, बंधु, संबंध है माया का यही जाल, मोह आबंध है… Read more
कहमुकरी छंद कहमुकरी छंद विधान : प्रतिचरण 15 अथवा 16 - 16 मात्राऐं, क्रमशः दो दो चरण समतुकांत वह भविष्य का है निर्माता पथभ्रष्टी को पथ पे लाता कर्म मार्ग का वही निरीक्षक क्या सखि ईश्वर ? ना सखि शिक्षक … Read more
महाभुजंगप्रयात [Mahabhujangprayat] विधान : महाभुजंगप्रयात छंद आठ यगण से है बना, बारह पर यति सोय । भुजंगप्रयात से दोगुना, सदा छंद यह होय ।। ------------------------------------- लगी है झरी धार पैनी परी हैं, लिये नीर आई… Read more
घनाक्षरियों के प्रकार एवं विधान ____________________________________________ 1:- मनहरण घनाक्षरी : कुल 31 वर्ण। 8-8-8-7 या 16-15 पर यति। अंत में गुरु वर्ण। ____________________________________________ 2:- रूप घनाक्षरी : कुल 32 वर्ण। 8-8-8-8 या 16-16 प… Read more
उल्लाला छन्द उल्लाला छन्द विधान - उल्लाला छंद सममात्रिक छंद है, इस छंद के दो भेद होते है। प्रथम भेद :- इस के प्रत्येक चरण में १३ - १३ मात्रायें (कुल २६ मात्रायें) होती हैं। प्रत्येक चरण की ग्यारहवीं मात्रा लघु होती है । द्वितीय भेद :- इसके भी चार चरण होत… Read more
मंदाक्रांता छंद -------------------- [ विधान : मगण,भगण,नगण,तगण,तगण,गुरु,गुरु] ____________________________ मर्यादा मारग तज,चले लोग वो चाल देखो । माया के, मोहवश उनके जो रहे हाल देखो । हैं वो निर्भीक,सभय नही,ईश से घाल देखो । होना है अंत,समय बढ़ा … Read more
छंद : मंदाक्रांता -------------------- ( मगण भगण नगण तगण तगण गु गु ) ------------------------------------------------------- माँ वागीशा, विनय करता,आप ही हो सहारा विद्या दात्री,मति विमल दो,हो न ये अंधियारा शिक्षा की माँ अलख द्युति से,ज्ञ… Read more
महाश्रृंगार छंद [Mahashringar chhand] विधान : यह सम मात्रिक छन्द है।इसके प्रत्येक चरण में 16 ,16 मात्राएँ होती है ।दूसरे व चौथे चरण में सम तुकान्त रहता है। चरणान्त दीर्घ लघु से। आदि में त्रिकल द्विकल(3,2) व अन्त में द्विकल त्रिकल(2,3) सुनो ! बृसभानु लली… Read more
विधान : कहमुक़री चार चरणों में लिखी जाती है,जिसके प्रत्येक चरण का मात्रा भार 15-15 अथवा 16 -16 होता है । सुबह शाम मैं उसे रिझाऊँ, नैन पलक पर जिसे बिठाऊँ बिन उसके दिल है बेहाल, क्यों सखि साजन?ना गोपाल घड़ी - घड़ी मैं राह निहारूँ सुबह शाम नित उसे पुकारूँ… Read more
छन्द : रोला ----------------- लिये हरित परिधान,धरा पर पावस आयी । शीतल चली बयार,उष्णता है शरमायी । भरे कूप अरु कुंड,नीर सरिता भर लायी । जन,जीवन,खुशहाल,ऋतु वर्षा मन भायी ।। - नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” श्रोत्रिय निवास बयाना Http://NKUtkarsh.Blogspot.c… Read more
पंचमगति छन्द Panchamgati Chhand [भगण जगण गुरु=7 वर्ण] राम जप राम रे राम प्रभु नाम रे भोर यह, जान लो शेष यह मान लो चेत कर मीत रे हार मत, जीत रे सत्य यह सृष्टि का भेद पर दृष्टि का राम गुण खान है … Read more
कलाधर छंद : Kaladhar Chhand शिल्प बिधान :- कलाधर छंद Vidhan : 21*15 + 2 (गुरु+लघु×15+गुरु) ------------------------------------------------ कवित्त जाति के इस वर्णिक छंद का प्रत्येक चरण चंचला और चामर छंद के मेल से बना है । चंचला छंद में चार चरण होते है ज… Read more
रास छंद (सविधान) Raas Chhand विधान – 22 मात्रा 8-8-6 पर यति,अंत में 112, चार चरण,क्रमागत दो-दो चरण तुकांत समय कीमती,रहा सदा ही,चेत करो समय नही है,पास तुम्हारे,ध्यान धरो मोह पाश में,बंधे मूर्खो,झूम रहे भूल ईश को,नित्य मौत पग,चूम रहे … Read more
भुजंगप्रयात छंद [Bhujangprayat Chhand] विधान : यगण×4 कुल 12 वर्ण लगी आग देखो,जला प्रेम सारा बना आज बैरी,रहा भ्रात प्यारा कभी सोचता हूँ,दिखावा भला क्यों रहा जो हमारा,उसी ने छला क्यों (2) मिलो आप कान्हा,मिले… Read more
राधिका छंद : Radhika Chhand छंद विधान :– 22 मात्राओ के साथ 13/9 पर यति होती है । यति से पहले और बाद में त्रिकल आता है । कुल चार चरण होते हैं , क्रमागत दो-दो चरण तुकांत होते हैं | (1) खेलें मिल सारे फाग, प्रेम की धुन में … Read more
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
अधिक जाने.... →
Follow Us
Stay updated via social channels-
-
-
-
-