मत्तग्यन्द सवैया
चोर बसे चहुँ ओर बसे,पर नाम करें रचना कर चोरी ।
सूरत से वह साधक है,पहचान परे नहि सूरत भोरी ।
बात बने लिखते वह तो,मति मारि गयी बिनकीउ निगोरी ।
कोशिश ते तर जामत है,मति कोउ उन्हें यह दे फिर थोरी ।
नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना
+91 84 4008-4006
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