सुमिरू तुमको हंसवाहिनी,मनमोहन,गुरुवर, गिरिराज । पंचदेव, गृहदेव, इष्ट जी,मंगल करना सारे काज ।। बाल नवीन करे विनती यह,रखना देवो मेरी लाज । उर भीतर के भाव लिखूँ मैं,आल्हा छंद संग ले आज ।। देश,वेश,परिवेश बदल दो,सोच बिना कछु नही सुहाय । मधुर बोल मन … Read more »
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