सूरजमल सुजान

गाथा : भरतपुर नरेश महाराजा सूरजमल सुजान शैली : आल्हा / वीर छंद (16/15 पदांत  गुरु,  लघु भाषा : खड़ी / ब्रज मिश्रित स्त्रोत्र : अंतर्जालीय पृष्ठ (विकिपीडिया, आदि)   गौरी   पुत्र    गणेश     पधारौ,   राजेश्वरी,   शारदा    संग इष्टदेव,  गृहदेव   सबै   मिल, भरौ   लेखनी    … Read more »

बहर-ए-मुतकारिब-मुजाहफ़ 121-22-121-22

वज़्न : 121 - 22 - 121 - 22 वफ़ा   कहाँ  है,  कहीं  कसर है नजर   उठाओ, नज़र   अगर है भली  मुहब्बत,  कभी   नहीं थी भला   यही   है,  बचा  भँवर  है चले   कहाँ,  हो,  नसीब  लेकर हो'  अजनबी  ये, उसे  खबर है चुना  उसे, जो,  वफ़ा  न   जाने ख़ता    तुम्हारी,   घुसर  -  पुसर   ह… Read more »

उत्कर्ष पदावली : कृष्ण कारौ करे जो उजारौ

कृष्ण कारौ करे जो उजारौ कोई   श्यामल  तन  कौ  बोले, कोई .  बंसी . बारौ कारी  दह  कौ  नाग  नथइया, नँद  नैनन  कौ तारौ माखन  चोर, कहे   गोपाला, बू  जसुदा  कौ  प्यारौ चरवाहे   गोविंद  बतामत, ब्रज कौ .  बनौ . सहारौ वृषभानु सुता चित्तचोर पुकारे, मनमोहन जग सारौ शरण गहे “उत्कर… Read more »

Sikharini Chand ke lakshan Or Udaharan

शिखरिणी छंद का लक्षण और उदाहरण Sikharini  Chand   ke  lakshan  Or  Udaharan शिखरिणी छंद परिचय :- यह छंद वर्णिक छंद है, इस छंद के चार चरण होते हैं , यगण, मगण,नगण, सगण, भगण,लघु और गुरु के योग से प्रत्येक चरण में क्रमशः १७-१७  वर्ण  होते हैं ।  क्रमशः छः और ग्यारह वर्ण … Read more »

Radhika Krishna Ko Pyari hai

राधिका - कृष्ण को, प्यारी है प्यारी है प्यारी है राधिका - कृष्ण को, प्यारी है प्यारी है प्यारी है जानती  ये, दुनिया  सारी  है, सारी  है, सारी है  जिन राहों पे  चलते   रहे  अब तलक उन राहों  की हम तो लकीर  हो लिये लूट   न  पाया  यूँ  तो  कोई   भी हमें जिसने लूटा  हमें, व… Read more »

इन्द्रवज्रा छंद [ INDRAVAJRA-CHHAND ]

इन्द्रवज्रा छंद विधान और उदहारण    छंद  विधान : - यह छंद उपेंद्रवज्रा छंद से मिलता जुलता ही छंद है अथवा इन दोनों ही छंदो में नाम मात्र का भेद है।  इस छंद में क्रमशः  तगण + तगण + जगण + गुरु + गुरु [२२१+२२१+१२१+२२ = १८ ] कुल चार चरण ​, १८ मात्राएँ प्रति पंक्ति , दो-दो प… Read more »

सवैया छंद क्या है ? सवैया छंद के भेद कितने हैं ?

सवैया छंद आइये आज चर्चा करते हैं  सवैया छंद पर सवैया छंद क्या है ? सवैया छंद के भेद कितने हैं ?  सबसे पहले आते है सवैया क्या है ?  सवैया चार चरणों का समतुकान्त वर्णिक छंद है, वर्णिक छंदों में २२ से २६ अक्षर वाले छंदो को सवैया नाम से जाना जाता है अर्थात् अन्य से सवाय… Read more »

सोरठा छंद [SORTHA CHHAND]

सोरठा छंद सोरठा छंद  विधान :-   सोरठा छंद दोहा छंद  का विपरीत होता है, इसके भी दोहा के जैसे चार चरण व दो पंक्तियाँ होती हैं , विषम  चरणों में क्रमशः ग्यारह - ग्यारह  मात्राएँ एवं सम चरणों में क्रमशः तेरह - तेरह मात्रायें होती हैं। सोरठा छंद का उदाहरण :- भजो  राम   का  … Read more »

रे ! मूरख क्यों तू स्वांग रचावै : नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष

उत्कर्ष पदावली रे ! मूरख क्यों तू स्वांग रचावै रे ! मूरख क्यों तू स्वांग रचावै   रे !  मूरख क्यों तू स्वांग रचावै जैसी     करनी         वैसी    भरनी    करनी      का      फल    पावै रे मूरख करनी का फल पावै रे ! मूरख क्यों तू स्वांग रचावै    रे !  मूरख क्यों तू स्वा… Read more »

वियोग श्रृंगार-चौपाइयाँ छंद

चौपाइयाँ छंद छंद परिचय :-    छंद सनातनी परंपरा का लोकप्रिय छंद है, जिसका प्रयोग मुख्यतः बाबा तुलसी रचित रामचरित मानस में किया है ।  इस छंद की अन्य की भाँति कुल चार पँक्ति होती है, प्रत्येक  पँक्ति में यति (विराम) क्रमशः दस, आठ, बारह मात्राओं पर  सुनिश्चित है … Read more »

माहिया छंद

माहिया छंद टप्पे माहिया छंद / टप्पे महिया   तुझपे  मरते        जबसे   मैंने  जाना है जां  तेरे     ही     नां        ख्वाब     तिरे     देखे हम प्यार तुम्हे करते         इक  तुमको  पाना है कब आओगे मिलने         क्यों मतलब यारी को … Read more »

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