उल्लाला छन्द

उल्लाला छन्द  विधान - 

उल्लाला छंद  सममात्रिक छंद है, इस छंद के दो भेद होते है। 
प्रथम भेद :- इस के प्रत्येक चरण में १३ - १३ मात्रायें (कुल २६ मात्रायें)  होती हैं। प्रत्येक चरण की ग्यारहवीं मात्रा लघु होती है। 
द्वितीय भेद :- इसके भी चार चरण होते है इसके  विषम चरणों में १५ व सम चरणों में १३ मात्राओं के योग से कुल २८ मात्रायें होती है। इसका प्रथम भेद ही
लोकप्रिय व प्रचलन में है। 
उल्लाला छंद, दोहा छंद से मिलता - जुलता छंद ही है दोहा छंद के सम चरणों में एक गुरु और रखने से उल्लाला छंद हो जाता है।

उल्लाला छन्द उदा•

गुरु किरपा से  सब  मिला, गुरु  जीवन आधार हैं
गुरु बिन ध्यान ना ज्ञान है, गुरु भव तारणहार हैं
गुरु  चरणों  में   है   मिला, मुझको जीवन सार है
गुरु  आज्ञा   जो    मानता, उसका    तो   उद्धार है
- नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष