छंद : मदिरा सवैया [भगण×7+1]
रस : श्रृंगार
चरण : 4 यति : 10/12
-------------------------------------------
नैन मिले जबसे उनसे,वह ही अँखियों पर छाय रही
चैन नही दिन में हमकूँ, रजनी भर याद सताय रही
प्रेम हुआ हमको सुनलो,मन अग्नि यही समझाय रही
साथ मिले तब जान रहे,नहिं साँस हमें ठुकराय रही
✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना
+91 84 4008-4006
Madira-Savaiya |
0 Comments
एक टिप्पणी भेजें
If You Like This Post Please Write Us Through Comment Section
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।