साजन तेरे देश की,है कैसी यह रीत ।
जित देखूँ में झांक कें,उते मिले बस प्रीत ।।
सजनी मरुधर देश ये,है वीरो की खान ।
आपस में मिल जुल रहें,यहाँ राम रहमान ।।
साजन तेरे देश के,अलग थलग है रंग ।
कहीँ बजत है दुंदुभी,कहीँ बजत है चंग ।।
सजनी मेरा देश ये,सबका मन ललचाय ।
बुरी नजर को दुंदुभी,प्रीत चंग बतलाय ।।
क्रमशः। ..........
जित देखूँ में झांक कें,उते मिले बस प्रीत ।।
सजनी मरुधर देश ये,है वीरो की खान ।
आपस में मिल जुल रहें,यहाँ राम रहमान ।।
साजन तेरे देश के,अलग थलग है रंग ।
कहीँ बजत है दुंदुभी,कहीँ बजत है चंग ।।
सजनी मेरा देश ये,सबका मन ललचाय ।
बुरी नजर को दुंदुभी,प्रीत चंग बतलाय ।।
क्रमशः। ..........
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