भुजंगप्रयात छंद
[Bhujangprayat Chhand]
विधान : यगण×4 कुल 12 वर्ण
लगी आग देखो,जला प्रेम सारा
बना आज बैरी,रहा भ्रात प्यारा
कभी सोचता हूँ,दिखावा भला क्यों
रहा जो हमारा,उसी ने छला क्यों
(2)
मिलो आप कान्हा,मिले चैन प्यारे
तुम्ही तो रहे हो, हमारे सहारे
करें जाप तेरा, सवेरे सवेरे
करो दूर बाधा, रहें ना अँधेरे
(3)
हुई आज तेरी,बनी हूँ दिवानी
कहें बावरी मैं,चढ़ी है जवानी
पुकारूं तुम्हे मैं,सताओ न कान्हा
तुम्ही प्राण प्यारे,कहे ये जमाना
नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना
+91 95 4989-9145
Bhujangpryat Chhand ka udaharan |
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