पंचमगति छन्द
Panchamgati Chhand
[भगण जगण गुरु=7 वर्ण]
राम जप राम रे
राम प्रभु नाम रे
भोर यह, जान लो
शेष यह मान लो
चेत कर मीत रे
हार मत, जीत रे
सत्य यह सृष्टि का
भेद पर दृष्टि का
राम गुण खान है
देह अरु प्रान है
जीव जग सार है
राम भव पार है
पूर्ण कर इष्टि को
छान कर दृष्टि को
राम जग मूल है
और सब धूल है
✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना
+91 95 4989-9145
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Panchamgati chhand पंचमगति छन्द
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