छन्द : रोला
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लिये हरित परिधान,धरा पर  पावस आयी ।
                      शीतल चली  बयार,उष्णता   है   शरमायी ।
                      भरे  कूप अरु  कुंड,नीर सरिता  भर लायी ।
                      जन,जीवन,खुशहाल,ऋतु वर्षा मन भायी ।।
- नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
                         श्रोत्रिय निवास बयाना
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