रट  लै  रट लै हरी कौ नाम

रट  लै  रट लै हरी कौ नाम, प्राणी  भव  तर  जायेगौ
रे प्राणी  भव   तर  जायेगो, तेरो जनम सुधर जायेगौ
रट लै रट लै हरि कौ......

बड़े  जतन  तन  मानुस  पायौ
मोहपाश  में    समय   गँवायौ
कोउ न  आवै  काम अंत में, रे  जब   ऊपर  जायेगौ
रट लै रट  लै  हरि  कौ नाम, प्राणी  भव तर जायेगौ

पाँच गुणन  की   काया  प्यारी
मल   मल  चमड़ी गई निखारी
चले साथ  प्राणन  के बल पे, रे  पीछे   मर  जायेगौ
रट  लै  रट  लै हरी कौ नाम, प्राणी भव  तर जायगौ

सब प्राणिन  की  है  ई नगरी
कर्मन  ते  भर  जीवन  गगरी
पाप   पुण्य  पावै  तू  बूही, हाथन    कर     जायेगौ
रट लै तट लै हरी कौ नाम, प्राणी  भव   तर जायेगौ

पर  पीरा   कूँ  अपनी  कर ले
दया भाव करुणा मन  भर ले
भव  कौ  मेलौ चले अनवरत रे  याय  उबर  जायेगौ
रट  लै  रट  लै  हरी कौ नाम प्राणी  भव तर जायेगौ
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रट  लै  रट लै हरी कौ नाम