महाभुजंगप्रयात [Mahabhujangprayat]
विधान : महाभुजंगप्रयात छंद
आठ यगण से है बना, बारह पर यति सोय ।
भुजंगप्रयात से दोगुना, सदा छंद यह होय ।।
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लगी है झरी धार पैनी परी हैं,
लिये नीर आईं ,घटा घोर कारी ।
चली हैं हवायें डरी सी निगाहें,
बचेगी न खेती हुई आज भारी ।
रहा कर्ज में हूँ रहूँगा सदा ही,
मिली भाग में ये गरीबी हमारी ।
करूँ क्या कहो,राह कोई दिखाओ,
धरा पुत्र का कष्ट काटो बिहारी ।।
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नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष,बयाना
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