कनक मंजरी छन्द 

 कनक-मंजरी छन्द विधान : 

यह वार्णिक छन्द है।  गुरु का अर्थ गुरु, लघु का अर्थ लघु [ चार लघु + ६ भगण (२११)+ १ गुरु ] = २३ वर्ण , चार  चरण, सभी समतुकान्त [ मापनी  ११११,२११,२११,२११, २११,२११,२११,२ ]

उदाहरण :  अभी उपलब्ध नहीं  ..........



kanak-manjari chhand ka vidhan or udaharan


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    3 Comments

    1. Anand K. Ghuryeबुधवार, 28 अक्तूबर 2020 को 1:15:00 am IST बजे

      Where is the example ? Please analyse with respect to Mahishasur Mardini Stotra

      जवाब देंहटाएं
    2. Ramesh kumar chauhanबुधवार, 29 दिसंबर 2021 को 9:56:00 pm IST बजे

      कनक मंजरी छंद में 23 वर्ण नहीं 11 वर्ण होते हैं, जिसमें 6,5 पर यति होता है। इसका वर्ण विन्यास नगण,रगण, रगण, गुरु होता है, उदाहरण https://www.surta.in/raspanchadhdyayi-3-gopeeka-geet/ में देखा जा सकता है ।

      जवाब देंहटाएं
    3. बेनामीमंगलवार, 11 अक्तूबर 2022 को 12:12:00 am IST बजे

      यह वर्णिक छन्द 'शैलसुता' है। इसके लघु-गुरु का क्रम निम्न प्रकार है -
      लललल गालल गालल गालल गालल गालल गालल गालल गा
      यदि मदिरा सवैया छन्द के प्रथम गुरु को दो लघु में बदल दिया जाये तो शैलसुता छन्द बन जाता है! उदाहरण -
      परिणय का अति पावन बंधन, बंधन जीवन-जीवन का,
      सुख दुख में अनुरूप रहे यह, बंधन है तन का मन का।
      निरख बुरे दिन छोड़ सभी चलते पर दम्पति साथ निभाते,
      जब तन जर्जर हो चलता तब भी बन सम्बल हाथ मिलाते।
      - आचार्य ओम नीरव

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