गजल : हाल जैसे रहें,मुस्कराते रहो
Gazal : Haal Jaise Rahe Muskrate Raho
                           212-212-212-212[फाइलुन×4] 
                        
                        
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                          हाल   जैसे      रहें,   मुस्कराते     रहो
                        
                        
                          अश्क   हैं    कीमती, मत  गिराते  रहो
                        
                        
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                          हँस  रहे  लोग  सब, आज  हालात   पे
                        
                        
                          प्रेम   की   राह   है, सब   भुलाते   रहो
                        
                        
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                          बेवफा  वो  नही, वक़्त   दुश्मन   बना
                        
                        
                          आँधियो    से  यहाँ, सब   छुपाते  रहो
                        
                        
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                          ढाल खुद को,हकीकत  की  बुनियाद पे
                        
                        
                          आशियाँ   साँच   का  फिर  बनाते रहो
                        
                        
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                          प्रेम  है चीज क्या, ऐ ! “सुमन” तू बता
                        
                        
                          टूट  कर,  दो  दिलो   को  मिलाते  रहो
                        
                        
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                          ✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
                        
                        
                                 
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| हाल जैसे रहें,मुस्कराते रहो : गजल | 

                              

                
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