Manharan Kavitt Chhnad
घनाक्षरी छंद : मनहरण कवित्त
रावण के जैसा कृत्य, करते है आज वही
जिनको है भान नहीं, राम के प्रताप का
रोम रोम उनका तो, काम, लोभ जपता है
मोह परिपूर्ण होके, नाश करें आपका
भूल बैठे रावण ने, पाया देखो विष्णुलोक
स्वयं संग उद्धार तो, किया पूरी खांप का
रावण के जैसा बुद्धि, जीवी कहो कौन भला
दोनों के बुरे हैं कर्म, रहा फर्क नाप का
घनाक्षरी छंद मनहरण कवित्त |
2 Comments
हमेशा की तरह उत्कृष्ट लेखन 👌🏻👌🏻👌🏻😊
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