चौपाइयाँ छंद
छंद परिचय :-
छंद सनातनी परंपरा का लोकप्रिय छंद है, जिसका प्रयोग मुख्यतः बाबा तुलसी रचित रामचरित मानस में किया है । इस छंद की अन्य की भाँति कुल चार पँक्ति होती है, प्रत्येक पँक्ति में यति (विराम) क्रमशः दस, आठ, बारह मात्राओं पर सुनिश्चित है । प्रत्येक पँक्ति के तीन (10-8-12) चरण होते हैं । प्रत्येक पँक्ति के पहले व दूसरे चरण सम तुकांत एवं प्रत्येक पँक्ति क्रमशः समतुकांत होती है ।
है सावन आया, जी अकुलाया, साजन अब तो आओ
पिछली कुछ पाती, आग लगाती, मन को तर कर जाओ
नित बरसैं नैना, कहीं न चैना, इनकी प्यास बुझाओ
विरहन की रातें, कहती बातें, मत इतना तड़पाओ
नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
श्रोत्रिय निवास बयाना
चौपाइयाँ छंद |
2 Comments
बहुत सुंदर पक्तियां।
जवाब देंहटाएंजी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आदरणीय
हटाएं